चीन के द्वारा निर्मित “कृत्रिम सूरज” ने असली सूर्य के तापमान से भी 10 गुना ज्यादा तापमान (20 सेकेंड तक) हासिल कर रिकार्ड बना दिया। चीन ई0ए0एस0टी0 (एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपर कंडक्टिंग टोकामैक) पर शोध कर रहा है, जो सूर्य से होने वाली ऊर्जा निर्माण प्रक्रिया पर आधारित है।
चीन की सरकारी मीडिया का दावा है कि इसने 1 मिनट 41 सेकेंड तक 120 मिलियन (12 करोड़) डिग्री सेल्सियस तापमान हासिल किया। इस आधुनिक रिएक्टर को पहली बार वर्ष 2020 में शुरु किया गया था।
तब इस रिएक्टर ने 1 मिनट 40 सेकेंड तक 100 मिलियन (10 करोड़) डिग्री सेल्सियस का तापमान पैदा किया था लेकिन इस बार 1 मिनट 41 सेकेंड तक 120 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान हासिल कर अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़कर एक नया रिकाॅर्ड बना दिया है।
इतना ही नहीं कृत्रिम सूरज पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने इसे 20 सेकंड तक 160 मिलियन (16 करोड़) डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान को भी हासिल किया, जो असली सूर्य के तापमान से 10 गुना से भी ज्यादा है। असली सूर्य का तापमान आंतरिक भाग में 15 मिलियन (1.5 करोड़) डिग्री सेल्सियस के करीब रहता है।
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क्या है Artificial Sun (कृत्रिम सूरज)?
चीन के हेफेई में स्थित चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा फिजिक्स में मौजूद ई0ए0एस0टी0 (एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपर कंडक्टिंग टोकामैक) रिएक्टर एक एडवांस न्यूक्लियर फ्यूजन प्रायोगिक शोध उपकरण है।
चीन के इस कृत्रिम सूरज का उद्देश्य न्यूक्लियर फ्यूजन की उसी प्रक्रिया को दोहराना है, जिस तरह से सूर्य को ऊर्जा मिलती है। ई0ए0एस0टी0 चीन के तीन टोकामैक में से एक है। ई0ए0एस0टी0 2006 से ही ऑपरेशनल है।
यह प्रोजेक्ट आईटीईआर (इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्यर) फैसिलिटी का हिस्सा है। हालांकि चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि इसे पूरी तरह से चालू होने में लगभग 3 दशक का समय लगेगा।
इस प्रोजेक्ट में भारत, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका समेत कुल 35 देश काम कर रहे हैं।
जिस प्रक्रिया से यह कृत्रिम सूरज काम करेगा वही प्रक्रिया सूर्य और अन्य तारों में भी घटित होती है जिससे ऊर्जा और प्रकाश उत्पन्न होता है। यह प्रयोग नियंत्रित न्यूक्लियर फ्यूजन से लम्बे अवधि तक असीमित स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध करवाने हेतु किया गया है।