Mahatma Gandhi Biography in Hindi || महात्मा गांधी का जीवन परिचय

गांधी जी को सत्य और अहिंसा की राह पर चलना और अपने कर्तव्यों का पालन हमेशा करते रहने की सीख उनको उनकी मां से मिली थी। इंग्लैंड में पढ़ाई के समय उन्हें कई बार अपमानित होना पड़ा था लेकिन वो अपने रास्ते से कभी अडिग नहीं हुए थे। गांधी के बारे में ऐसी अनेकों घटनाएं हैं जो प्रेरित करने के साथ-साथ काफी आश्चर्यजनक भी हैं।

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5 विदेश में शिक्षा और वकालत (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

Mahatma Gandhi Biography in Hindi में आज हम उन्हीं गांधी के बारे में विस्तार से जानेंगे

महात्मा गांधी का जन्म (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य के एक तटीय नगर पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के माता का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी। गांधी के पिता करमचन्द गान्धी सनातन धर्म की पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे। इनके पिता ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत राजकोट और पोरबंदर के दीवान थे।

महात्मा गांधी का असली नाम (पूरा नाम) मोहनदास करमचंद गांधी था। अपने तीनों भाइयों में गांधी सबसे छोटे थे। गांधी जी का सादा और सरल जीवन इनकी मां से प्रेरित था। इनका पालन-पोषण वैष्णव मत में श्रद्धा रखने वाले परिवार में हुआ था। गांधी जी के जीवन पर भारतीय जैन समुदाय का गहरा प्रभाव पड़ा। जैन धर्म के प्रभावों में दुर्बलों में उत्साह की भावना, आत्मशुद्धि के लिये उपवास तथा विभिन्न जातियों के लोगों के बीच सहिष्णुता, शाकाहारी जीवन आदि सम्मिलित थे।

जैन धर्म के प्रभाव का की कारण था कि वह सत्य और अहिंसा में अटूट विश्वास करते थे। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का अनुसरण जीवन भर किया। 

गुजराती भाषा में गांधी का अर्थ है पंसारी से है। जबकि हिन्दी में गांधी का अर्थ है इत्र फुल बेचने वाला, इसी को अंग्रेजी भाषा में परफ्यूमर कहा जाता है। पुतलीबाई करमचन्द गांधी की चौथी पत्नी थीं। करमचन्द की पहली तीन पत्नियां प्रसव के दौरान मर गयीं थीं। 

गांधी जी की शिक्षा (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

गांधी जी ने पोरबंदर में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की थी। यहीं से उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद इनके पिता करमचन्द का राजकोट ट्रांसफर हो गया। ट्रांसफर हो जाने की वजह से गांधी ने अपनी बची हुई शिक्षा राजकोट से ही पूरी की।

राजकोट हाई स्कूल से वर्ष 1887 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। आगे की पढ़ाई करने के लिये उन्होनें भावनगर के सामलदास कॉलेज में अपना एडमिशन लिया, परन्तु घर से दूर रहने के कारण वह अपना ध्यान पढ़ाई पर केन्द्रित नहीं कर पाए और जब तक वे वहाँ रहे परेशान ही रहे क्योंकि उनका परिवार उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहता था। बाद में वे अस्वस्थ होने के कारण पोरबंदर वापस लौट आए। 

04 सितम्बर 1888 को गांधी इंग्लैण्ड चले गये और लंदन में लंदन वेजीटेरियन सोसायटी की सदस्यता ग्रहण कर इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। गांधी जी वेजीटेरियन सोसाइटी के अधिकांश सम्मेलनों में भाग लेने लगे और पत्रिका के लिए लेख लिखने लगे। यहां वर्ष 1988 से 1991 तक रहकर अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की फिर वर्ष 1891 में भारत वापस आ गए।

Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay
Image:Pixabay

गांधी जी का वैवाहिक जीवन (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

गांधी जी का विवाह कम आयु में ही हो गया था। वर्ष 1883, मई में मात्र साढ़े 13 वर्ष की आयु में गांधी का विवाह कस्तूर बाई मकनजी से हो गया। कस्तूर बाई मकनजी का नाम छोटा करने के लिए गांधी ने उनका नाम कस्तूरबा कर दिया। विवाह के समय कस्तूरबा की उम्र लगभग 14 वर्ष की थी। कस्तूरबा को लोग प्यार से ‘बा’ कहकर बुलाते थे। 

गांधी और कस्तूरबा का विवाह दोनों के माता-पिता द्वारा तय किया गया था। यह एक व्यवस्थित बाल विवाह था जो उस दौरान उस क्षेत्र में प्रचलित था। परन्तु विवाह के उपरान्त उस क्षेत्र में यह रिवाज था कि दुल्हन को अपने माता-पिता के घर और पति से अलग अधिक समय तक रहना होता था। कस्तूरबा के पिता एक धनी व्यवसायी थे। वो पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं। विवाह के बाद गांधी जी ने उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया।

कस्तुरबा ने गांधी जी का एक आदर्श पत्नी की तरह हर एक काम में साथ दिया। वर्ष 1885 में कस्तुरबा और गांधी की पहली संतान ने जन्म लिया, परन्तु थोड़े समय के बाद ही उसका निधन हो गया और इसी वर्ष उनके पिता करमचन्द गांधी का भी स्वर्गवास हो गया।

मोहनदास गांधी और कस्तूरबा के 4 संतान हुये और चारो पुत्र थे। उनके चारो पुत्रों का नाम हरीलाल गान्धी, मणिलाल गान्धी, रामदास गान्धी और देवदास गांधी था। इन चारों पुत्रों का जन्म क्रमशः 1888, 1892, 1897 और 1900 में हुआ था। 

विदेश में शिक्षा और वकालत (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

04 सितम्बर 1888 को 19 वर्ष से भी कम उम्र में गांधी कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के उद्देश्य से इंग्लैंड चले गये। वहां गांधी जी ने अंग्रेजी रीति-रिवाजों का भी अनुभव किया जैसे की नृत्य कक्षाओं में जाने इत्यादि का। उनकी मकान मालकिन द्वारा उनको कई बार मांस एवं पत्ता गोभी दिया गया लेकिन वो उसको हजम नहीं कर पाये।

अपनी माता की इच्छाओं को सीधे अपनाने की बजाय उन्होंने बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन का ही अपना भोजन स्वीकार किया। गांधी ने शाकाहारी समाज की सदस्यता ली और इसमें उनका कार्यकारी समिति के लिये चयन भी हो गया। गांधी जी शाकाहारी समाज के अधिकांश सम्मेलनों में भाग लेने लगे और पत्रिका के लिए लेख भी लिखने लगे।

वहां कुछ लोगों ने गांधी जी को श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने के लिये प्रेरित किया। गांधी ने हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, इस्लाम और अन्य धर्मों के बारे में पढ़ने से पहले धर्म में कुछ खास रुचि नहीं दिखायी।

भारत आने के बाद उन्होनें बम्बई में वकालत करना शुरू किया परन्तु इसमें उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली। कुछ समय बाद उन्होंने एक हाई स्कूल शिक्षक के रूप में अंशकालिक नौकरी का प्रार्थना-पत्र स्वीकार न करने पर जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियां लिखना शुरू किया और फिर उन्होंने राजकोट को ही अपना स्थायी जगह बना लिया। लेकिन एक अंग्रेजी शासन के एक अधिकारी की मूर्खता के कारण उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा। गांधी ने अपनी आत्मकथा में इस घटना का वर्णन किया है। 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

1915 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशनों पर गांधी ने अपने विचार व्यक्त किए, लेकिन उनके विचार कांग्रेस दल के प्रमुख भारतीय और एक सम्मानित नेता गोपाल कृष्ण गोखले पर ही आधारित थे।

चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

1918 में चम्पारन सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह में गांधी जी को पहली बड़ी उपलब्धि मिली। अंग्रेजों ने एक विनाशकारी अकाल के कारण शाही कोष की भरपाई के लिए दमनकारी ‘कर’ लगा दिए थे। कर का बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही चला गया। यह स्थिति बहुत निराशजनक थी। गुजरात के खेड़ा में भी यही समस्या थी। Mahatma Gandhi Biography in Hindi

खेड़ा में गांधी जी ने एक आश्रम बनाया। यहाँ उनके बहुत सारे समर्थकों और स्वेच्छा से जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं को संगठित किया गया। गांधी ने गांवों का विस्तृत अध्ययन और सर्वेक्षण किया जिसमें प्राणियों पर हुए अत्याचार का लेखा-जोखा रखा गया। ग्रामीणों में विश्वास पैदा करने के लिए गांधी ने अपना कार्य गांवों की सफाई करने से शुरू किया।

इसके प्रमुख प्रभाव तब देखने को मिले जब उन्हें अशांति फैलाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें राज्य छोड़ने का आदेश दे दिया। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए। इस दौरान लोगों ने पुलिस स्टेशन, जेल एवं अदालतों के बाहर रैलियां निकालकर गांधी को बिना शर्त रिहाई की मांग की।

असहयोग आन्दोलन (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

गांधी जी ने अहिंसा, असहयोग और शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ़ शस्त्र के तरह उपयोग किया। पंजाब में अंग्रेजी फौजों द्वारा जलियावांला नरसंहार किया गया जिसे अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है। इस नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुँचाया जिससे जनता क्रोधित हो उठी और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी।

स्वराज और नमक सत्याग्रह (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

सक्रिय राजनीति से गांधी जी हमेशा दूर ही रहे लेकिन वर्ष 1920 में लम्बे समय तक वे इंडियन नेशनल कांग्रेस और स्वराज पार्टी के बीच बनी खाई को भरने में लगे रहे। इसके अतिरिक्त वे शराब, अज्ञानता, अस्पृश्यता, और गरीबी के खिलाफ आंदोलन भी छेड़ते रहे।

गांधी जी ने दिसम्बर 1928 में कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस के एक अधिवेशन में एक प्रस्ताव रखा जिसमें भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा। गांधी जी ने सुभाष चंद्र बोस तथा जवाहरलाल नेहरू जैसे पुरूषों द्वारा तत्काल आजादी की मांग के विचारों को फलीभूत किया। 

इंडियन नेशनल कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को लाहौर में भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। लगभग प्रत्येक भारतीय संगठनों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।

मार्च 1930 में गांधी जी ने नमक पर लगाए गये कर के विरोध में एक नया सत्याग्रह चलाया। यह सत्याग्रह 12 मार्च से 06 अप्रैल तक नमक आंदोलन के याद में 400 किलोमीटर का था जो अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था। समुद्र की तरफ हुए इस यात्रा में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया ताकि नमक स्वयं उत्पन्न किया जा सके।

भारत में अंग्रेजों की पकड़ को कमजोर करने वाला यह एक सर्वाधिक सफल आंदोलन था। इस आंदोलन में अंग्रेजों ने 80000 से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया था। 

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दलित आंदोलन और निश्चय दिवस (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

दलित नेता और विद्वान बाबासाहेब अम्बेडकर के चुनाव प्रचार के माध्यम से सरकार ने अछूतों को वर्ष 1932 में एक नए संविधान के अंतर्गत अलग निर्वाचन मंजूर कर दिया था। इसके विरोध में दलित हितों के विरोधी गांधी ने सितंबर 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया। इसकेे बाद सरकार को दलित राजनेता बने पलवंकर बालू द्वारा की गई मध्यस्ता वाली एक समान व्यवस्था को अपनाने पर बल दिया था। mahatma gandhi essay in hindi

अछूतों (दलितों) के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी द्वारा चलाए गए इस अभियान की शुरूआत थी। जिन दलितों को लोग अछूत मानते थे गांधी जी ने इन अछूतों को हरिजन नाम दिया। 08 मई 1933 को गांधी जी ने हरिजन आंदोलन में मदद करने के लिए आत्म शुद्धिकरण का 21 दिनों का उपवास किया। गांधी का यह नया अभियान दलितों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया।

गांधी जी द्वारा हरिजन शब्द का उपयोग करने पर डॉ॰ अम्बेडकर ने इसकी स्पष्ट निंदा की। डॉ॰ अम्बेडकर का मानना था कि दलित सामाजिक रूप से अपरिपक्व है। डॉ0 अम्बेडकर के साथ-साथ उनके सहयोगी दलों को भी महसूस हुआ कि गांधी दलितों के राजनीतिक अधिकारों का बहुत ही कम आंकलन रहे हैं।

गांधी जी वैश्य समुदाय में पैदा हुए थे फिर भी वे इस बात पर जोर दिये कि डॉ॰ अम्बेडकर जैसे दलितों के हितैसी होने के बावजूद भी वह दलितों के लिए आवाज उठा सकते है। भारत के आजादी के लड़ाई के दिनों में भारत की सामाजिक बुराइयों में छुआछूत एक प्रमुख समस्या थी। छुआछूत के विरूद्ध गांधी और उनके अनुयायी हमेशा संघर्षरत रहे।

भारत छोड़ो आन्दोलन और द्वितीय विश्व युद्ध (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

वर्ष 1939 में जब द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने लगा तो गांधी जी ने अंग्रेजों के प्रयासों को अहिंसात्मक सहयोग देने का पक्ष लिया। लेकिन दूसरे कांग्रेस के बडे़ नेताओं ने युद्ध में जनता के प्रतिनिधियों के परामर्श लिए बिना इसमें एकतरफा शामिल होने का विरोध किया और कांग्रेस के सभी चयनित सदस्यों ने अपने पद से सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया।

जैसे-जैसे युद्ध बढ़ता गया गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए अपनी मांग को अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन का नाम देकर इसे और तीव्र कर दिया। यह आन्दोलन गांधी जी तथा कांग्रेस पार्टी का सबसे स्पष्ट विद्रोह था जो अंग्रेजों को भारत देश से खदेड़ने पर केन्द्रित था।

स्वतंत्रता और भारत का विभाजन (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

गांधी जी ने वर्ष 1946 में कांग्रेस को ब्रिटिश कैबीनेट मिशन के प्रस्ताव को ठुकराने का परामर्श दिया। क्योंकि गांधी जी को मुस्लिम बहुलता वाले प्रांतों के लिए प्रस्तावित समूहीकरण के प्रति गहन संदेह था। गांधी जी ने इस प्रकरण को विभाजन के पूर्वाभ्यास के रूप में देखा। कुछ समय से गांधी और कांग्रेस के बीच चल रहे मतभेदों वाली घटनाओं में यह एक घटना भी शामिल हो गयी

हालांकि सरदार पटेल और नेहरू जानते थे कि यदि कांग्रेस इस योजना का अनुमोदन नहीं करती है तो सरकार का पूरा नियंत्रण मुस्लिम लीग के हाथ में चला जाएगा। गांधी जी किसी भी ऐसी योजना के खिलाफ थे जो भारत को अलग-अलग दो देशों में विभाजित करे। हिंदु और मुस्लिमों की व्यापक स्तर पर फैले लड़ाई को रोकने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने बंटवारे की इस योजना को अपनी मंजूरी दे दी।

कांग्रेस के नेता जानते थे कि गांधी जी इस बंटवारे का विरोध करेंगे और उनकी सहमति के बिना कांग्रेस के लिए आगे बढ़ना असंभव था। हालांकि पार्टी में गांधी का सहयोग और पूरे भारत में उनकी लोकप्रियता मजबूत थी।

वर्ष 1947 के भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद सरकार ने पाकिस्तान को विभाजन परिषद द्वारा बनाए गए समझौते के अनुसार 55 करोड़ रूपया न देने का निर्णय लिया था। सरदार पटेल को डर था कि इस धन का उपयोग पाकिस्तान हमारे देश के खिलाफ़ जंग छेड़ने में कर सकता है।

गांधी जी पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपया देने के पक्ष में थे। इसे लेकर गांधी ने दिल्ली में अपना पहला आमरण अनशन शुरू कर दिया। गांधी जी की मांग थी कि साम्प्रदायिक हिंसा को समाप्त किया जाय और पाकिस्तान को तत्काल 55 करोड़ रूपया का भुगतान किया जाय। 

जिन्दगी भर गांधी जी का साथ देने वाले सहयोगियों के साथ काफी देर तक हुई बहस के बाद भी गांधी ने किसी की बात को मानने से साफ इंकार कर दिया और सरकार को अपनी नीति बदल कर पाकिस्तान को भुगतान करना पड़ा। हिंदु, मुस्लिम और सिख समुदाय के प्रमुख नेताओं ने उन्हें गांधी को विश्वास दिलाया कि वे अब हिंसा नहीं करेंगे और शांति स्थापित करेंगे। इसके बाद गांधी ने संतरे का जूस पीकर अपना अनशन समाप्त कर दिया।

शाकाहार पर जोर

गांधी को बाल्यावस्था में मांस खाने का अनुभव मिला। ऐसा उनकी उत्तराधिकारी जिज्ञासा के कारण ही हुआ था। इसमें उनके परम मित्र शेख मेहताब का भी पूरा योगदान था। शाकाहारी बनने का विचार हिन्दुस्तान के हिंदुओं में और जैन प्रथाओं में कूट-कूट कर भरा हुआ था। गांधी की मातृभूमि गुजरात में ज्यादातर हिंदु शाकाहारी ही होते हैं। जैन भी पूर्णतया शाकाहारी ही होते हैं। गांधी जी का फैमिली भी इससे अछूता नहीं था।

गांधी जी ने पढ़ाई के लिए लंदन जाने से पूर्व अपनी माता पुतलीबाई और अपने काका बेचारजी स्वामी से वादा किया था कि वे मांस खाने और शराब पीने से दूर रहेंगे। उन्होंने अपने वादे को पूरा करने के लिए उपवास भी किया। 

गांधी जी जैसे-जैसे बड़े होते गए वे पूर्णतया शाकाहारी बन गए। उन्होंने द मोरल बेसिस ऑफ वेजीटेरियनिज्म और इससे संबन्धित विषयों पर कई लेख भी लिखे। इनके कुछ लेख लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के प्रकाशन “द वेजीटेरियन” में प्रकाशित भी हुए थे। गांधी जी स्वयं इस दौरान कई महान विभूतियों से प्रेरित भी हुए और लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के चेयरमैन डॉ० जोसिया के मित्र भी बन गए।

गांधी जी के सिद्धान्त

सत्य

गांधी जी ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा सत्य की व्यापक खोज में लगा दिया। गांधी जी ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं के द्वारा की गयी गलतियों पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। गांधी जी ने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया।

गांधी जी का मानना था कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई अपने भय और असुरक्षा जैसे तत्वों से लड़ना है। गांधी जी अपने विचारों को एक बार व्यक्त करते हुए कहा भगवान ही सत्य है। बाद में अपने इस कथन को उन्होंने बदल दिया और कहा कि सत्य ही भगवान है। 

अहिंसा

अहिंसा के सिद्धांत के प्रवर्तक गांधी जी बिल्कुल नहीं थे। लेकिन वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिसने इस शब्द का बड़े पैमाने पर राजनैतिक इस्तेमाल किया। अहिंसा और अप्रतिकार का भारतीय धार्मिक विचारों में बहुत लंबा इतिहास है। हिंदु, जैन, बौद्ध, यहूदी और ईसाई समुदायों में बहुत सी अवधारणाएं हैं।

अपनी आत्मकथा द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ में गांधी जी ने दर्शन और अपने जीवन के मार्ग का विस्तार से वर्णन किया है। गांधी ने लिखा है कि-

1. मैं जब निराश होता हूं उस समय मैं याद करता हूं कि इतिहास सत्य का मार्ग होता है, लेकिन प्रेम इसे हमेशा जीत लेता है। यहां बड़े-बड़े अत्याचारी भी आये और हत्यारे भी हुए जो कुछ समय तक वे अपराजय लगते थे परन्तु अंत में उनका पतन ही होता है, इसका सदैव विचार करें।

2. बेघरों तथा अनाथ के लिए इससे क्या फर्क पड़ता है कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता के नाम के नीचे संपूर्णवाद का पागल विनाश छिपा है।

3. आंख के बदले आंख एक दिन पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।

4. मरने के लिए मेरे पास बहुत से वजह हैं लेकिन किसी को मारने का कोई भी वजह मेरे पास नहीं है।

गांधी जी की मृत्यु (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

30 जनवरी सन् 1948 को शाम 05 बजकर 17 मिनट पर बिरला हाउस में पं0 नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने गांधी जी को गोली मार दी। गोली लगने के कुछ समय बाद ही गांधी की मौत हो गयी। गांधी जी को 3 गोलियां मारी गयी थी। अंतिम समय में गांधी जी ने “हे राम” शब्द बोला था। उनकी मृत्यु के बाद राजघाट (नई दिल्ली) पर उनका समाधि स्थल बनाया गया।

FAQ:

Ques. गांधी को महात्मा पहली बार किसने बुलाया था?

Ans. रवीन्द्रनाथ टैगोर

Ques. गांधी जी का आदर्श वाक्य क्या है?

Ans. सादा जीवन, उच्च विचार

Ques. भारत का राष्ट्रपिता कौन है?

Ans. असल में कहें तो भारत का कोई राष्ट्रपिता नहीं है और न कभी कोई हो सकता है।

Ques. महात्मा गांधी कितनी बार जेल जा चुके हैं?

Ans. गांधी जी को अंग्रेजी हुकूमत ने पहली बार 10 अप्रैल, 1919 गिरफ्तार किया था। इससे पहले गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में 6 बार गिरफ्तारी हो चुकी थी।

Ques. आसान शब्दों में महात्मा गांधी कौन थे?

Ans. अहिंसा के सिद्धांत के प्रवर्तक गांधी जी बिल्कुल नहीं थे। लेकिन वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिसने इस शब्द का बड़े पैमाने पर राजनैतिक इस्तेमाल किया।

Ques. गांधी जी का फोटो नोट पर क्यों होता है?

Ans. नोट से गांधी जी का फोटो बदलना विवाद का कारण बन सकता है। महात्मा गांधी को आज भी लाखों लोग अपना आदर्श भी मानते हैं।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi || महात्मा गांधी का जीवन परिचय

 

 

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