डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय [Biography Of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi]

 डॉ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय

      आज हम ऐसे व्यक्तित्व
के जीवन पर चर्चा
करने जा रहे है,
जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रसिद्ध
शिक्षाविद, आस्थावान हिन्दू विचारक एवं महान दार्शनिक
थे। उन्होनें शिक्षा एवं राजनैतिक क्षेत्र
में अपना महत्वपूर्ण योगदान
दिया था।

उनके योगदान
को देखते हुए सन् 1954 में
उन्हें देश के सर्वोच्च
नागरिक सम्मान भारत रत्न से
सम्मानित किया गया।

इसके
अतिरिक्त उन्हें अन्य क्षेत्रों में
भी सराहनीय कार्यों के लिए अनेक
पुरस्कार प्रदान किये गये हैं।


Biography Of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan in Hindi

      डॉ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन (05 सितम्बर 1888 – 17 अप्रैल 1975) एक प्रसिद्ध शिक्षक
थे और आजाद भारत
के पहले उप-राष्ट्रपति
और दूसरे राष्ट्रपति थे। इनकी याद
में हर वर्ष 05 सितम्बर
को शिक्षक दिवस के रुप
में मनाया जाता है। डॉ0
सर्वपल्ली पश्चिमी सभ्यता के खिलाफ थे
और भारत के साथ-साथ दुनिया में
सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने
के पक्षधर थे।

महत्वपूर्ण
बिन्दु-

नाम-                       राधाकृष्णन

पूरा
नाम-               
डॉ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन

धर्म-                       हिन्दू

जन्म-                     5 सितम्बर 1888

जन्म
स्थान-          तिरुमनी,
मद्रास

माता-                    सिताम्मा

पिता-                    सर्वपल्ली विरास्वामी

विवाह-                 सिवाकमु
(1903)

बच्चे-                    5 बेटी और 1 बेटा





    डाॅ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म ‘तमिलनाडू’
के ‘तिरूतनी गांव’ में एक निर्धन
ब्राह्मण परिवार में , दिनाँक 05 सितम्बर 1888 को हुआ था।  डाॅ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के पिता
जी का नाम सर्वपल्ली
वीरास्वामी
व माता का
नाम सीताम्मा था।


डाॅ0 सर्वपल्ली
राधाकृष्णन जी बचपन से
ही तीव्र बुद्धि के थे। डाॅ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की प्रारंभिक
शिक्षा सुचारु रूप से गांव
में ही हुई। एक
मेधावी छात्र होने के कारण
उनका दाखिला क्रिश्चिन मिशनरी संस्था द्वारा संचालित लुर्थन मिशन स्कूल तिरुपति
में करा दिया गया,
जहां वे सन् 1896 से
1900 तक रहे।

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan ka Jivan Parichay

      सन्
1900 में डाॅ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन
ने वेल्लूर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण
कर सन् 1906 में दर्शन शास्त्र
में एम0ए0 की
परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने 1909 में
मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शन शास्त्र
से अध्यापन कार्य आरम्भ किया।

सन् 1916 में डाॅ0 सर्वपल्ली
राधाकृष्णन उसी कॉलेज में
दर्शन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक
नियुक्त हुए। 1918 में मैसूर यूनिवर्सिटी
के द्वारा उन्हें दर्शन शास्त्र का प्रोफेसर नियुक्त
कर लिया गया, तत्पश्चात
वे इंग्लैंड के ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी
में भारतीय दर्शन शास्त्र के शिक्षक बने।


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राधाकृष्णन जी को अपने
पुरे जीवन शिक्षा के
क्षेत्र में स्कालरशिप मिलती
रही। राधाकृष्णन ने 1903 में 16 साल की उम्र
में ‘सिवाकमु’ से शादी कर
ली, जिनसे उन्हें 5 बेटी व 1 बेटा
हुआ। इनके बेटे का
नाम ‘सर्वपल्ली गोपाल’ है, जो भारत
के महान इतिहासकार थे।

राधाकृष्णन जी की पत्नी
की मौत 1956 में हो गई
थी। भारतीय क्रिकेट टीम के महान
खिलाड़ी वी0वी0 एस0
लक्ष्मण इन्हीं के खानदान से
ताल्लुक रखते हैं।

डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्केच

      डॉ0
राधाकृष्णन, विवेकानंद और वीर सावरकर
को अपना आदर्श मानते
थे। इनके बारे में
इन्होंने गहन अध्ययन किया
था। डॉ0 राधाकृष्णन ने
अपने लेखों और भाषणों के
माध्यम से समूचे विश्व
को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराने
का प्रयास किया।





डॉ0
राधाकृष्णन का राजनीति में
आगमन

      जब भारत को स्वतंत्रता
मिली उस समय जवाहरलाल
नेहरू ने राधाकृष्णन से
आग्रह किया, कि वह विशिष्ट
राजदूत के रूप में
सोवियत संघ के साथ
राजनयिक कार्यों की पूर्ति करें।

नेहरू जी की बात
को स्वीकारते हुए डॉ0 राधाकृष्णन
ने 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री
सभा के सदस्य के
रूप में कार्य किया।
संसद में सभी लोग
उनके कार्य और व्यवहार के
प्रशंसनीय थे। अपने सफल
एकेडमिक कैरियर के बाद उन्होंने
राजनीतिक में अपना कदम
रखा।

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan ki Jivani

      13 मई
1952 से 13 मई 1962 तक वे देश
के उप-राष्ट्रपति रहे।
13 मई 1962 को ही वे
भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित
हुए। राजेंद्र प्रसाद की तुलना में
इनका कार्यकाल काफी चुनौतियों भरा
था, क्योंकि जहां एक ओर
भारत के चीन और
पाकिस्तान के साथ युद्ध
हुए, जिसमें चीन के साथ
भारत को हार का
सामना करना पड़ा, वहीं
दूसरी ओर दो प्रधानमंत्रियों
का देहांत भी इन्हीं के
कार्यकाल 
में हुआ।


डॉ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिले सम्मान
व अवार्ड

  • शिक्षा
    और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान
    देने के लिए डॉ0
    राधाकृष्णन को सन् 1954 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से
    सम्मानित किया गया।
  • 1962 से
    राधाकृष्णन जी के सम्मान
    में उनके जन्म दिवस
    05
    सितम्बर को शिक्षक दिवस
    के रूप में मनाने
    की घोषणा की गई।
  • सन्
    1962
    में डॉ0 राधाकृष्णन को ब्रिटिश एकेडमी’ का सदस्य बनाया
    गया।




Dr Sarvepalli Radhakrishnan ka jeevan parichay


  • इंग्लैंड
    के सरकार द्वारा इनको आर्डर ऑफ मेरिट’ का
    सम्मान प्राप्त हुआ।
  • डॉ0
    राधाकृष्णन ने भारतीय दर्शन
    शास्त्र एवं धर्म के
    उपर अनेक किताबे लिखी
    जैसे ‘द हिन्दू व्यू आफ लाइफ’धर्म और समाज’, ‘सत्य की खोज आदि।
    वे अक्सर किताबे अंग्रेजी में लिखते थे।

  • सन्
    1967
    के गणतंत्र दिवस पर डॉ0
    राधाकृष्णन ने देश को
    सम्बोधित करते हुए यह
    स्पष्ट किया कि वह
    अब किसी भी सत्र
    के लिए राष्ट्रपति नहीं
    बनना चाहेंगे और बतौर राष्ट्रपति
    ये उनका आखिरी भाषण
    रहा।

डॉ0
सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु

      17 अप्रैल
1975
को लम्बी बीमारी के बाद राधाकृष्णन
का निधन हो गया।
शिक्षा के क्षेत्र में
उनका योगदान हमेशा याद किया जाता
है। राधाकृष्णन को मरणोपरांत सन्
1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा टेम्प्लेटन पुरस्कार से सम्मानित किया
गया, जो कि धर्म
के क्षेत्र में उत्थान के
लिए प्रदान किया जाता है।
इस सम्मान को पाने वाले
यह प्रथम गैर-ईसाई व्यक्ति
थे।

 

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