सबसे पहले होली की ढ़ेर सारी बधाई!
नोट- यह होली का पोस्ट है इसलिए इस पोस्ट को विभिन्न रंगों में लिखा गया है। पढ़ें और कलरफूल पोस्ट का आनन्द लें-
होली जिसे लोग धुलेंडी या रंगो के त्यौहार के रूप में जानते है। वैसे तो अब होली पूरी दुनिया में मनायी जाने लगी है लेकिन होली का त्यौहार प्रमुख रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है। होली हिन्दुओ के प्रसिद्ध और प्राचीन त्योहारों में से एक है। होली से जुडी प्रमुख बातें-
- होली हम हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है।
- होली को रंगो का त्यौहार भी कहते हैं।
- होली हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।
- होली का त्यौहार दो दिनों का होता है, प्रथम दिवस होलिका दहन और द्वितीय दिवस धुलंदी के रूप में मनाया जाता है।
- होली त्यौहार के पीछे पौराणिक कथा है जो प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की है।
- होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में जाना जाता है।
- होलिका दहन के दिन सभी लोग अपने घरों से 5 लकडियां, गोबर के बने उपले और घर में बने कुछ पकवान अग्नि को समर्पित करते है।
- धुलंदी के दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल और रंग लगाते है।
- इस दिन लोगों के घरों में गुझिया, पकौड़े और ढेर सारे पकवान मिठाई इत्यादि बनते हैं।
- होली पर्व में बच्चे, बूढ़े सभी बड़े प्यार और स्नेह के साथ मिलकर मनाते हैं।
होली निबंध 2022 | Happy Holi Essay 2022
होली हमारे देश का बहुत ही प्रसिद्द, प्राचीन, लोकप्रिय और हर्षाेल्लास से परिपूर्ण त्यौहार है। होली पर्व में लोग एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और पकवान का आनंद लेते हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च माह (वसंत ऋतु) में यह पर्व मनाया जाता है। यह त्यौहार हिन्दू पन्चांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का यह त्यौहार पारंपरिक रूप से दो दिनों का होता है, प्रथम दिवस में होलिका जलायी जाती है जिसे होलिका दहन कहते हैं।
इस दिन लोग अग्नि की पूजा भी करते हैं और द्वितीय दिवस धुलंदी, धुलेंडी, धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इत्यादि नाम हैं, जिसमें लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर, गुलाल इत्यादि लगाते हैं। ढोल बजाकर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाये जाते हैं।
Holi Nibandh in Hindi
होली पुराने कटुता को भुलाने वाला भी त्यौहार है। इस दिन लोग पुरानी बातों को भुलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं और मिलकर होली मनाते हैं। फाल्गुन माह में मनाए जाने के वजह से इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का रंग ऊर्जा, जीवंतता और आनंद का सूचक है।
वसंत पंचमी से ही होली का त्यौहार आरंभ हो जाता है। पहली बार उसी दिन गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग (फगुआ) और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों के पौधे भी खिल उठते हैं। बाग-बगीचों में फूलों की भी आकर्षक छटायें दिखने लगती हैं। मनुष्य, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं।
होलिका दहन की कहानी | Holika Dahan Ki Kahani Hindi me:
होली का त्यौहार मनाने के पीछे की वजह प्रह्लाद से जुड़ी एक कथा है। प्रह्लाद परम पिता परमेश्वर भगवान विष्णु के परम भक्त थे। प्रभु के चरणों में प्रह्लाद ने खुद को समर्पित कर दिया था। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को ईश्वर में विश्वास नहीं था और वो एक नास्तिक, घमंडी और क्रूर राजा था। हिरण्यकश्यप अपने अहंकार के कारण से खुद को ही भगवान मानने लगा था।
हिरण्यकश्यप यहाँ बुराई का प्रतीक है और प्रह्लाद विश्वास, निश्छलता एवं आनंद का प्रतीक है।
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प्रह्लाद हर समय ईश्वर का नाम जपते रहते थे। इस बात से आहत होकर हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को सबक सिखाना चाहता था। हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को समझाने के सारे प्रयास कर चुके लेकिन प्रह्लाद में कोई परिवर्तन आता नहीं दिख रहा था। जब हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद को अपने इच्छा अनुसार नहीं बदल नहीं पाया तो उसने उसे मारने की सोची।
होली पर निबंध 1200 शब्दों में
प्रह्लाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप नें अपनी बहन की मदद ली। हिरण्यकश्यप की बहन का नाम होलिका था। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप ने एक षड़यंत्र रचा। उसने होलिका से प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने को कहा।
राजा को तो पता था कि उसकी बहन को वरदान प्राप्त है कि वो अग्नि में जल नहीं सकती। राजा ने सोचा की बहन तो बच जायेगी और उसकी गोद में बैठा प्रह्लाद जलकर भस्म हो जाएगा।
होलिका, प्रह्लाद को जला कर मारने के लिए अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गयी। प्रह्लाद होलिका की गोद में ध्यान की मुद्रा में बैठ गये और “हरि ऊँ” का जाप करने लगे। होलिका को वरदान प्राप्त होने के बावजूद अग्नि का ताप सहन नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे होलिका खुद जलने लगी और प्रह्लाद उसकी गोद में सुरक्षित बैठे थे।
ईश्वर के परम भक्त होने और खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देने के कारण प्रह्लाद की आग से रक्षा हो गई और वह सुरक्षित बाहर आ गये जबकि होलिका आग में जलकर खाक हो गयी।
होली क्यों मनाई जाती है और होली से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
होली की पूर्व संध्या पर शाम को होलिका दहन किया जाता है। इस दिन लोग अग्नि की पूजा भी करते हैं। होलिका दहन की परिक्रमा बहुत शुभ माना जाता है। घर के आहाते या किसी सार्वजनिक स्थल पर गोबर के उपले और लकड़ी से होलिका तैयार की जाती है।
इसकी तैयारियाँ होली से काफ़ी दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। अग्नि के लिए एकत्र सामग्री में लकड़ियाँ और गोबर के उपले प्रमुख रूप से होते हैं।
लकड़ियों और उपलों से बनी इस होली का सुबह से ही विधिवत पूजन शुरू हो जाता है। होली के दिन घरों में खीर, पूरी, गुझिया, पकौडे़ और पकवान बनाए जाते हैं। घर पर बने पकवानों से भोग लगाया जाता है और दिन ढलने पर शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका का दहन किया जाता है।
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होली पर निबंध प्रस्तावना
इसी होलिका दहन में से आग ले जाकर घरों के आंगन में रखी हुई निजी पारिवारिक होलिका में आग लगाई जाती है और होलिका दहन किया जाता है। इसी में गेहूँ, जौ की बालियाँ और चने इत्यादि को भी भूना जाता है।
अगले दिन सुबह ही लोग रंगों और गुलाल से खेलते अपने मित्रों और रिश्तेदारों के घर होली खेलने निकल पड़ते हैं। रंग और गुलालों से ही सबका स्वागत किया जाता है। होली के दिन जगह-जगह टोलियाँ रंग–बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती है।
बच्चे पिचकारियों लेकर एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और मस्ती में झूमते-गाते हैं। लोग प्रीतिभोज और गाने-बजाने के कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं।
होली के अवसर पर सबसे अधिक खुश 😊 बच्चे होते हैं। बच्चे रंग–बिरंगी पिचकारी को अपने हाथों में लिए सब पर रंग डालते हैं और दौड़ते- भागते मजे लेते हैं। पूरे मोहल्ले ‘‘होली है’’ की आवाज से गुंजायमान होता है।
Holi ka Nibandh
एक दूसरे पर रंग डालने और नाचने-गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता रहता है। दोपहर बाद स्नान कर के थोड़ा विश्राम करने के बाद लोग नए कपड़े पहन कर देर शाम तक एक दूसरे के घर जाकर मिलते हैं और मिठाईयाँ खाते-खिलाते है।
हमारे भावनाओं का सम्बन्ध भी किसी न किसी एक रंग से होता है जैसे कि केसरिया संतोष/त्याग से, लाल रंग का क्रोध से, हरा रंग का इर्ष्या से, पीला का प्रसन्नता से, गुलाबी का प्रेम से, नीला रंग का विशालता से, श्वेत का शान्ति से और बैंगनी रंग ज्ञान से जुड़ा हुआ है।