Diya Kumari Biography In Hindi

जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य हैं। दीया कुमारी कुछ समय पहले राजसमन्द से लोकसभा सांसद थीं लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें चुनाव में मैदान में उतारा था और दीया कुमारी ने इस चुनाव में प्रचण्ड जीत हासिल किया। वर्तमान में दीया कुमारी विद्याधर नगर विधानसभा से विधायक और राजस्थान की उपमुख्यमन्त्री हैं।

दीया कुमारी का जन्म 30 जनवरी, 1971 को जयपुर के शाही परिवार में हुआ था, उनकी एक समृद्ध वंशावली और विभिन्न पृष्ठभूमि है जिसका विस्तार राजनीति से परे है। इनका जीवनी लिखने का उद्देश्य यह है कि आप भी दीया कुमारी के जीवन के बारे में गहराई से जान सकें। तो आइये जानते हैं इस पोस्ट Diya Kumari Biography In Hindi में दीया कुमारी के शुरूआती समय, पारिवारिक पृष्ठभूमि, शिक्षा, राजनीतिक करियर, उपलब्धियों और योगदान के बारे में विस्तार से।

प्रारंभिक जीवनः

जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी का पुरा नाम दीया कुमारी राणा है। दीया कुमारी का जन्म जयपुर (राजस्थान) में 30 जनवरी, 1971 को हुआ था। दीया कुमारी के पिता का नाम महाराजा सवाई भवानी सिंह है और माता का नाम महारानी पद्मिनी देवी है। दीया कुमारी की प्रारम्भिक शिक्षा मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली में हुई थी।

अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान होने के नाते राजकुमारी दीया कुमारी अपनी दादी राजमाता गायत्री देवी की विशेष देखरेख में पली-बढ़ी हैं। वो पुस्तैनी विरासत और अस्तित्वमय जयपुर के शाही परिवार की कला और संस्कृति को बनाए रखने के लिए एक संरक्षक और राजकुमारी का कार्य कर रही हैं।

शिक्षाः

दीया कुमारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली, जी0डी0 सोमानी मेमोरियल स्कूल, मुंबई और जयपुर के महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। अपने स्कूल के वर्षों के बाद, उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय के महारानी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की। इतिहास और संस्कृति में उनकी गहरी रुचि है। बाद में दीया कुमारी डेकोरेटिव आर्ट की पढ़ाई के लिए लंदन चली गयीं।

पारिवारिक पृष्ठभूमिः

राजकुमारी दीया कुमारी कच्छवाहा राजपूत हैं। इनके परिवार का इतिहास बहुत गहरा है। इनके परिवार ने राजस्थान के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दीया कुमारी जयपुर के अंतिम शासक महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की पोती हैं।

दीया कुमारी जयपुर के सिटी पैलेस की भव्य और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में पली-बढ़ी हैं। दीया कुमारी में परंपरा, संस्कृति और आधुनिकता के मिश्रण को देखा जा सकता है। दीया कुमारी परिवार के विरासत को सजाने और सम्भालने का कार्य भी करती हैं।

Diya Kumari Biography In Hindi

दीया कुमारी दो विद्यालयों द पैलेस स्कूल और महाराजा सवाई भवानी सिंह का कार्यभार भी सम्भालती हैं इसके साथ-साथ वो तीन राजभवन और कई होटलों के प्रबंधन का कार्य भी करती हैं जिसमें रूप से होटल राजमहल पैलेस, जयपुर, होटल जयपुर हाउस, माउंट आबु और होटल लाल महल पैलेस है। जयगढ़ दुर्ग, आमेर एवं महाराजा सवाई सिंह द्वितीय संग्राहालय ट्रस्ट और जयपुर एवं जयगढ़ पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट शामिल है।

विवाहः

जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी विवाह काफी फिल्मी लगता है। इन्होंने प्रेम विवाह किया था। इनकी प्रेम कहानी भी दुनिया भर में मशहूर हुई थी। खुद दीया कुमारी भी अपनी शादी को किसी परिकथा जैसा ही मानती हैं। दीया कुमारी अपने एक मित्र के घर पर छिप-छिप के अपने प्रेमी नरेन्द्र से मिलने जाया करती थीं। शुरूआती दिनों में नरेन्द्र और दीया कुमारी एक दोस्त थे लेकिन बाद में इनकी दोस्ती प्यार में बदल गयी।

दीया कुमारी का नरेन्द्र से प्रेम चल रहा है ये बात किसी को पता नहीं थी लेकिन 27 साल पहले तब सनसनी मच गयी जब दीया कुमारी ने अपने मां पद्मिनी देवी को अपने शादी के बारे में बताया। दीया कुमारी ने राजघराने के विरोध के बावजूद वर्ष 1994 में आर्य समाज और दिल्ली के एक कोर्ट में गुपचुप तरीके से विवाह कर लिया। विवाह के दो वर्ष तक दीया कुमारी और नरेन्द्र ने ये बात सबसे छिपा कर रखी।

वर्ष 1996 में ब्रुनेई में हाई कमिश्नर के पद पर तैनात जब उनके पिता को स्ट्रोक आया तब इलाज के लिए वो अपनी मां के साथ उन्हें सिंगापुर ले गयी। जब वो ठीक होकर भारत लौटे तो दीया कुमारी ने अपने मां और पिता जी को इस प्रेम और विवाह के बारे में बता दिया और नरेन्द्र ने भी अपने माता पिता को बता दिया।

इसे फैसले से दीया कुमारी और नरेन्द्र के परिजन काफी नाराज हुए लेकिन बाद में दोनों के घरवालों ने रिश्ते को स्वीकार कर लिया और वर्ष 1997 में सार्वजनिक तौर पर विवाह और रिसेप्शन हुआ। दीया कुमारी के परिजन और रिश्तेदार चाहते थे कि इनका विवाह किसी राजकुमार से हो, लेकिन ऐसा हो न सका क्योंकि दीया एक अच्छे व्यक्ति से विवाह करना चाहती थी किसी पद वाले व्यक्ति या ओहदे से नहीं।

दीया के इस फैसले से राजपूत समाज काफी नाराज था। इस नाराजगी को देखते हुए दीया के पिता भवानी सिंह ने राजपूत सभा के अध्यक्ष का पद त्याग दिया और समाज से दूरी बना ली।

बच्चेः

राजकुमारी दीया कुमारी के तीन बच्चे हैं जिसमें दो बेटे और एक बेटी है। इनके दोनों बेटों का नाम पद्मनाभ सिंह और लक्ष्यराज प्रकाश सिंह है और बेटी का नाम गौरवी कुमारी है। बड़े पुत्र महाराज पद्मनाथ सिंह का जन्म 02 जुलाई 1998 को हुआ था, जिन्हें स्व0 महाराजा भवानी सिंह ने 22 नवम्बर 2002 को युवराज घोषित किया था और 27 अप्रैल 2011 को पद्मनाथ सिंह जयपुर की गद्दी पर विराजमान हुए।

राजकुमारी दीया का परिवार जयपुर के ऐतिहासिक सिटी पैलेस में रहता रहा और अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में हमेशा योगदान देता रहा है।

तलाकः

दीया कुमारी और पति नरेंद्र किसी आपसी मनमुटाव के चलते चार-पांच साल तक अलग रहे। दोनों के बीच मनमुटाव के बारे में किसी को ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया। बताया जाता है कि कई मुद्दों को लेकर आपस में काफी अनबन हो गयी थी। अनबन इतनी बढ़ गई की दोनों ने अपने रास्ते अलग करने को सोच लिया।

दीया कुमारी और नरेंद्र ने वर्ष 2018 में 7 दिसंबर को फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन किया किया था। कोर्ट ने कानून को देखते हुए 6 माह बाद का समय दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए दोनों ने दलील दी की हम लोग आपसी सहमति से तलाक चाहते हैं इसलिए ने जल्द से जल्द तलाक पर सुनवाई किया जाय। दीया कुमारी को महज 45 दिन में तलाक मिल गया था।

हालांकि एक जमाना वो भी था जब समाज और दुनिया से लड़कर राजकुमारी दीया ने आम आदमी नरेंद्र से शादी रचाई थी।

Diya Kumari Biography In Hindi

रुचियाँः

दीया कुमारी की कला और संस्कृति के विभिन्न रूपों में गहरी रुचि है। उन्होंने राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई और इन्हें संरक्षित करने का हर सम्भव प्रयास भी करती रहती हैं।

राजनीतिक यात्राः

शासन में उनके परिवार की ऐतिहासिक भागीदारी को देखते हुए राजकुमारी दीया कुमारी का राजनीति में प्रवेश एक स्वाभाविक घटना है। वो अपने दादी राजमाता गायत्री देवी के कदमों का अनुसरण करते हुए अन्ततः राजनीति में प्रवेश कर गयीं। दीया ने 10 सितम्बर 2013 को जयपुर में एक रैली के दौरान, गुजरात के तत्कालीन मुख्यम़ंत्री नरेन्द्र मोदी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और वसुन्धरा राजे की उपस्थिति में औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। उस समय भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजस्थान में मजबूत उपस्थिति वाली प्रमुख राजनीतिक पार्टी थी।

दीया कुमारी का राजनीति में प्रवेश करने का उद्देश्य लोगों की सेवा करना और अपने निर्वाचन क्षेत्र का विकास करना था। आज वो राज्य की उपमुख्यमंत्री हैं अब अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ पूरे राज्य का विकास करने का सुनहरा अवसर उनके पास है।

दीया कुमारी ने वर्ष 2013 में, सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा का चुनाव लड़ा और अच्छे मार्जिन से चुनाव जीता भी। उनके राजनीतिक करियर की बहुत अच्छी शुरुआत रही। दीया कुमारी की जीत लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता का प्रमाण थी।

दीया कुमारी एक विधायक के रूप में अपने निर्वाचन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और महिला सशक्तिकरण सहित विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सबका ध्यान केंद्रित किया। उनका प्रयास सवाई माधोपुर के नागरिकों के जीवन की समग्र विकास और गुणवत्ता में सुधार लाना था।

परोपकार और सामाजिक पहलः

दीया कुमारी अपने राजनीतिक प्रयासों के अलावा परोपकार और सामाजिक पहल में सक्रिय रूप से शामिल रहती हैं। समाज कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता विभिन्न धार्मिक संगठनों, उत्थान और सशक्तिकरण के उद्देश्य से की गई पहलों के साथ उनके जुड़ाव में परिलक्षित होती है और उनके लगन और मेहनत को दर्शाती है।

दीया कुमारी कई सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों की संरक्षक भी रही हैं, जो पारंपरिक कला के संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही हैं। उनके परोपकारी प्रयास जरूरतमंद लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के दृष्टिकोण से होते हैं।

मान्यता और पुरस्कारः

राजनीति और समाज में दीया कुमारी के योगदान को विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों के माध्यम से सम्मनित किया गया है। महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक संरक्षण, सामुदायिक विकास इत्यादि के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें राजनीतिक क्षेत्र के अलावा राजनीति के बाहर भी पहचान दिलाई है।

चुनौतियाँ और विवादः

कभी भी राजनीतिक यात्रा चुनौतियों और विवादों से दूर नहीं रही है। दीया कुमारी की यात्रा भी ऐसी ही है। दीया कुमारी अपने राजनीतिक निर्णयों और आधुनिक शासन में शाही परिवार की भूमिका को लेकर बहस के साथ आलोचना का भी सामना करना पड़ा है और कई बार जांच का भी सामना करना पड़ा है।
राजनीति में आने वाली चुनौतियों को दीया कुमारी ने बहुत ही लचीलेपन और शालीनता के साथ संभाला है। दीया कुमारी ने हर स्तर पर समाज की बेहतरी पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए राजनीति के कई जटिल चुनौतियों को पार किया है।

विरासत और प्रभावः

दीया कुमारी की विरासत उनके राजनीतिक करियर से कहीं दूर तक फैली हुई है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले शाही परिवार के सदस्य के रूप में, दीया ने राजस्थान की मूल परंपराओं और इतिहास के संरक्षण में सक्रिय योगदान दिया है। राजनीति में उनकी भागीदारी ने उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र और राज्य के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निष्कर्षः

दीया कुमारी का जीवन और करियर आधुनिकता, परंपरा और सार्वजनिक सेवा के एक अद्वितीय मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है। जयपुर की शाही पृष्ठभूमि में अपने प्रारंभिक वर्षों से लेकर राजनीति और परोपकार में अपने प्रवेश तक उन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर एक न मिटने वाली छाप छोड़ी है।

एक राजनेता के रूप में, उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास और नागरिकों के कल्याण के लिए हमेशा काम किया है। साथ ही सांस्कृतिक संरक्षण और परोपकार में उनके प्रयास उन लोगों की विरासत और कल्याण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को भी बताता है, जिनकी सेवा में वह लगी रहती हैं।

दीया कुमारी की यात्रा मौजूदा राजनीति में पारंपरिक हस्तियों की उभरती भूमिका का एक प्रमाण है। यह दर्शाती है कि कैसे कर्तव्य की मजबूत भावना और सकारात्मक परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता वाले व्यक्ति समाज के व्यापक हित के लिए अतीत और वर्तमान के बीच की बनी किसी भी खाई को कैसे पाट सकते हैं।

Ques. दीया कुमारी के कितने बच्चे हैं?

Ans. तीन बच्चे, दो बेटे और एक बेटी

Ques. दीया कुमारी के पति का नाम क्या है?

Ans. नरेन्द्र सिंह

Ques. दीया कुमारी की मां कौन है?

Ans. पद्मिनी देवी

Ques. जयपुर के वर्तमान राजकुमार कौन है?

Ans. महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह

Ques. जयपुर का अंतिम राजा कौन था?

Ans. भवानी सिंह

Ques. दीया कुमारी क्या हैं?

Ans. राजस्थान की मुख्यमंत्री

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