Mahavir Swami Ki Jiwani || भगवान महावीर स्वामी की जीवनी

महावीर जयन्ती जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। इसी दिन भगवान महावीर (जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर) का जन्म हुआ था।

भगवान महावीर का जन्म:

भगवान महावीर (Bhagwan Mahavir Swami) का जन्म 599 ईसा पूर्व वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। ग्रंथों के अनुसार उनके जन्म के बाद से ही राज्य में उन्नति होने लगी इसीलिए उनका नाम वर्धमान रखा गया था। जैन ग्रंथ उत्तरपुराण में पांच नामों का उल्लेख है- वर्धमान, वीर, महावीर, अतिवीर और सन्मति। इन सब नामों के साथ कोई न कोई कथा जुड़ी हुई है।

23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद (जैन ग्रंथों के अनुसार) इनका जन्म हुआ था। 30 वर्ष की आयु में संसार से विरक्त होकर महावीर ने राज वैभव का त्याग कर दिया और सन्यासी बन कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गए।

इस साल महावीर जयन्ती 14 अप्रैल 2022 को मनायी जायेगी।

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भगवान महावीर का विवाह:

दिगम्बर मान्यता के अनुसार भगवान महावीर बाल ब्रह्मचारी थे। वे शादी नहीं करना चाहते थे क्योंकि ब्रह्मचर्य उनको बहुत प्रिय था। परन्तु महावीर के माता-पिता इनकी शादी करवाना चाहते थे। दिगम्बर परम्परा के अनुसार भगवान महावीर ने शादी करने से मना कर दिया था।

श्वेतांबर मान्यता के अनुसार महावीर का विवाह यशोदा नामक सुकन्या के साथ हुआ था। कुछ समय पश्चात एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम प्रियदर्शनी था। प्रियदर्शनी का विवाह राजकुमार जमाली के साथ सम्पन्न हुआ था।

भगवान महावीर की तपस्या:

भगवान महावीर ने 12 वर्ष तक साधना किया था। दीक्षा लेने के पश्चात भगवान महावीर ने दिगम्बर साधु की कठिन जीवन को स्वीकार किया और निर्वस्त्र रहने लगे। श्वेतांबर सम्प्रदाय के अनुसार (जिसमें साधु श्वेत वस्त्र धारण करते है) भी महावीर दीक्षा के पश्चात निर्वस्त्र रहे (कुछ समय छोड़कर) और उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति भी दिगम्बर अवस्था में ही की।

अपने पूरे साधना काल (12 वर्ष) के दौरान महावीर ने कठिन तपस्या की और मौन रहे। इन वर्षों में उन पर कई उपसर्ग भी हुए जिनका कई प्राचीन जैन ग्रंथों में उल्लेख है।

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मोक्ष प्राप्ति:

भगवान महावीर ने 72 वर्ष की आयु में (ईसापूर्व 527) बिहार के पावापुरी (राजगीर) में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया। उनके साथ अन्य कोई मुनि मोक्ष को प्राप्त नहीं हुए थे। पावापुरी में एक जल मंदिर स्थित है, इसी स्थान के बारे में कहा जाता है कि वह यही भगवान महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

महावीर जयंती का महत्व:

बताया जाता है कि 12 वर्ष की कठिन साधना के बाद भगवान महावीर को ज्ञान प्राप्त हुआ। भगवान महावीर को 72 वर्ष की उम्र में बिहार के पावापुरी में मोक्ष की प्राप्ति हुई। उस समय महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें प्रमुख रूप से राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक शामिल थे।

जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्म दिवस को महावीर जयंती तथा उनके मोक्ष (निर्वाण) दिवस को दीपावली के रूप में धूम-धाम से मनाया जाता है।

क्या है पंचशील सिद्धांत:

जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका महत्वपूर्ण संदेश है। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को ही सबसे उच्चतम और नैतिक गुण बताया है। महावीर स्वामी ने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए हैं, जो अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य है।

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महावीर स्वामी ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को उचित और सही मार्ग दिखाया और दुनिया का मार्गदर्शन किया। भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की है वह और कहीं नहीं मिलता है।

महावीर स्वामी ने सिर्फ मानव को मानव के प्रति ही प्रेम और मित्रता से रहने का ही संदेश नहीं दिया अपितु पानी, अग्नि, मिट्टी, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकोड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी प्रेम व्यवहार, मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया।

कैसे मनाया जाता है महावीर जयंती पर्व:

महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्म को मानने वाले प्रातः काल प्रभातफेरी निकालते हैं और उसके बाद भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकालते हैं। इसके पश्चात् स्वर्ण और रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है और शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है।

जैन धर्मावलंबीयों द्वारा दिन-भर अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और महावीर का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

मंदिरों में खास आयोजन:

अरावली पर्वत (राजस्थान) की घाटियों के मध्य स्थित रणकपुर में ऋषभदेव का चतुर्मुखी (जैन) मंदिर है। चारों ओर जंगलों से घिरे इस मंदिर की भव्यता बहुत ही मनमोहक होती है। इसके अलावा राजस्थान में ही दिलवाड़ा में विश्व विख्यात जैन मंदिर है। इन जैन मंदिरों का निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था।

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शतरुंजया पहाड़ (गुजरात) पर पालिताना जैन मंदिर स्थित है। नौ सौ से अधिक मंदिरों वाले शतरुंजया पहाड़ पर स्थित पालिताना जैन मंदिर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को समर्पित हैं।

Ques.- महावीर का जन्म कहाँ हुआ था?

Ans.- क्षत्रिय कुण्डलपुर (वैशाली के गणतंत्र राज्य)।

Ques.- महावीर के पिता का नाम क्या था?

Ans.- सिद्धार्थ।

Ques.- महावीर की माँ का नाम क्या था?

Ans.- त्रिशला।

Ques.- महावीर के बचपन का नाम क्या था?

Ans.- वर्धमान।

Ques.- 23 महावीर कौन हैं?

Ans.- 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी हैं।

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