Statue of Equality: जानिए कौन हैं संत रामानुजाचार्य?

Statue of Equality: जानिए कौन हैं संत रामानुजाचार्य? Who is Saint Ramanujacharya

पीएम मोदी ने हैदराबाद में Statue of Equality” (स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी) को 05 फरवरी 2022 को देश के नाम किया। यह विशालकाय प्रतिमा 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य के याद में बनाई गई है और इसकी ऊंचाई 216 फुट (65.83 मीटर) है। यह प्रतिमा पंचधातु से बनाई गई है।

मुख्य बातेंः

  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 05 फरवरी 2022 दिन-शनिवार को हैदराबाद में Statue of Equality को देश के नाम किया।
  • यह प्रतिमा 216 फुट (65.83 मीटर) ऊंची है, यह 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है।
  • यह प्रतिमा पंचधातु से बनाई गई है।
  • यह प्रतिमा बैठी अवस्था में दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है। 54 फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है।
Statue of Equality
Image source- Wikimedia Commons

यह प्रतिमा 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है। इस प्रतिमा का निर्माण 200 एकड़ के आश्रम के अंदर 40 एकड़ क्षेत्र में किया गया है। यह प्रतिमा ‘पंचधातु’ से बनी है। इसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता शामिल है।

यह दुनियाभर में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं (बैठी अवस्था) में से एक है। यह प्रतिमा दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची (बैठी अवस्था में) प्रतिमा है। यह 54 फुट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित किया गया है। जिसका नाम ‘भद्र वेदी’ है।

कौन हैं रामानुजाचार्य?
Who is Saint Ramanujacharya in Hindi?

भारत के पवित्र धरती ने कई संत-महात्माओं को जन्म दिया। उनमें से श्री रामानुजाचार्य एक हैं। श्री रामानुजाचार्य का जन्म सन् 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेराम्बदूर के एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम केशव भट्ठ था। रामानुजाचार्य की उम्र बहुत छोटी थी तभी उनके पिता का देहावसान हो गया था।

श्री रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने देशभर में घूम-घूमकर समानता और सामाजिक न्याय पर जोर दिया। श्री रामानुजाचार्य ने सांस्कृतिक, सामाजिक, लिंग, शैक्षिक और आर्थिक भेदभाव से लाखों लोगों को इस मूलभूत विश्वास के साथ स्वतंत्र किया कि राष्ट्रीयता, जाति, लिंग या पंथ की परवाह किये बिना हर एक इंसान समान है।

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श्री रामानुजाचार्य ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया। उनके उपदेशों ने अनेक भक्ति की विचारधाराओं को प्रेरित किया। रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए। उन्हें भक्त रामदास, अन्नामाचार्य, त्यागराज, मीराबाई और कबीर जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है।

रामानुजाचार्य आलवन्दार यामुनाचार्य के प्रमुख शिष्य थे। अपने गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने तीन कार्य करने का संकल्प लिया था- ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखना।

16 वर्ष के उम्र में श्री रामानुजम ने सभी वेदों और शास्त्रों का अध्ययन कर लिया था। 17 वर्ष के उम्र में उनका विवाह हो गया था। उन्होंने गृहस्थ आश्रम को त्यागकर श्रीरंगम के यदिराज सन्यासी से सन्यास की दीक्षा ली। 

Ramanujacharya Statue

संत रामानुजाचार्य ने ज्यादा भेदभाव से प्रभावित लोगों सहित समाज के सभी वर्गों के लिए मन्दिरों के दरवाजे खोल दिये थे। वह पूरी दुनिया के समाज सुधारकों के लिए समानता के प्रतीक माने जाते हैं। रामानुज बड़े ही विद्वान और उदार थे। इन्होंने कुल 9 पुस्तकें लिखी थी।

इतिहास के आधार पर यह माना जाता है कि दक्षिणी भारत के मैसूर के शालग्राम नामक स्थान पर रहने लगे थे। रामानुजचार्य ने मैसूर के पूरे क्षेत्र में 12 वर्ष तक वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार किया। फिर उन्होंने वैष्णव धर्म के प्रचार के लिए पूरे भारत का भ्रमण किया। सन् 1137 ई. में श्री रामानुजाचार्य ब्रह्मलीन हो गए। श्री रामानुजाचार्य का जीवनकाल 120 वर्ष का था।

स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी नाम क्यों?

श्री रामानुजाचार्य सभी वर्गों के लोगों के बीच सामाजिक समानता की बात करते थे। उन्होंने ऊंच-नीच का भेदभाव हटाते हुए समाज की सभी जातियों और वर्गों के लिए मंदिर के दरवाजे खोलने का समर्थन किया। उस समय में कई ऐसी जाति के लोग थे जिन्हें मंदिर में नहीं घुसने दिया जाता था। श्री रामानुजाचार्य ने उन लोगों तक शिक्षा को पहुंचाया जो इससे वंचित रह रहे थे।

Saint Ramanujacharya Biography in Hindi

श्री रामानुजाचार्य का सबसे बड़ा योगदान सुधैव कुटुम्बकम” की अवधारणा का प्रचार करना है, जिसका तात्पर्य यह है कि सारा ब्रह्मांड एक ही परिवार का हिस्सा है। श्री रामानुजाचार्य ने हाशिए पर पड़े लोगों को भी गले से लगाया। शाही अदालतों से सबके साथ समान व्यवहार करने को कहा। 

उन्होंने प्रभू की भक्ति, करुणा, समानता, विनम्रता और आपसी सम्मान के माध्यम से सार्वभौमिक मोक्ष की बात की, जिसे श्री वैष्णव संप्रदाय के रूप में जाना जाता है।

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वैष्णव संप्रदाय के श्री चिन्ना जीयार स्वामी ने अनुसार, स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी” के विचार के पीछे श्री रामानुजाचार्य का सामाजिक दर्शन है। यह जाति व्यवस्था की सीमा को पार करके पूरी मानवता को गले लगाने पर जोर देता है।

कैसे पहुंचें श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा पर?
How to Reach Statue of Ramanujacharya?

Statue of Equality हैदराबाद-मुचिन्तल रोड (Hyderabad – Muchintal Road) में श्रीराम नगर में स्थित है।

दूरी (Distance):

हैदराबाद से श्रीराम नगर – 17.1 किमी

शमशाबाद से श्रीराम नगर- 37.8 किमी

हवाई अड्डा

शमशाबाद में राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। जिसकी दूरी 16 किमी है।

रेलवे स्टेशन

निकटतम रेलवे स्टेशन शमशाबाद का उम्दानगर रेलवे स्टेशन है, जिसकी दूरी 12.2 किमी है।

Statue of Equality: जानिए कौन हैं संत रामानुजाचार्य?

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