Shri Ram Mandir Ayodhya || श्री राम मन्दिर अयोध्या

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का मन्दिर अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर पुनः बनाया जा रहा है। यह एक हिन्दू मन्दिर है। रामायण के अनुसार जिस स्थान पर मंदिर बनाया जा रहा है वही भगवान श्रीराम का जन्मस्थान है। Shri Ram Mandir Ayodhya || श्री राम मन्दिर अयोध्या

श्री राम मन्दिर का निर्माण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के निगरानी में हो रहा है। भारत के यशस्वी प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 05 अगस्त 2020 को अयोध्या में भूमिपूजन अनुष्ठान किया गया था उसके बाद राम मन्दिर का निर्माण आरम्भ हुआ था।

22 जनवरी 2024 को श्री राम मंदिर का उद्घाटन समारोह होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ इस उद्घाटन समारोह में 8000 से ज्यादा VVIP और 70 से अधिक देशों के जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। इस भव्य उद्घाटन समारोह में कोई कमी न रह जाये इसके लिए इसकी तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी है।

मंदिर राम मंदिर
राम मंदिर का स्थान अयोध्या
राज्य उत्तर प्रदेश, भारत
निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के देख-रेख में निर्मित
निर्माण प्रारम्भ 2019 में शुरू हुआ
वास्तुकार सोमपुरा परिवार, अहमदाबाद, गुजरात
मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़
कुल आवंटित क्षेत्र 70 एकड़
राम मंदिर की लागत अब तक 1000 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं
अयोध्या राम मंदिर वर्तमान स्थिति चरण 1 पूर्ण और चरण 2 जारी
अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन तिथि 22 जनवरी 2024

श्रीराम एवं राम मंदिर का इतिहास

सनातन धर्म के अनुसार भगवान श्रीराम, भगवान विष्णु के 7वें अवतार हैं। भगवान श्री राम पूरी दुनिया में व्यापक रूप से पूजे जाने वाले राजा हैं। भारत के साथ-साथ अनेक देशों में भी भगवान श्री राम को पूजा जाता है।

प्राचीन महाकाव्य वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि अयोध्या में (त्रेतायुग में) भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। अयोध्या में जहां पर प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था उस जगह को राम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है।

मुगल शासक बाबर ने 15वीं शताब्दी में राममन्दिर को तोड़कर जन्मभूमि पर बाबरी नामक एक मस्जिद का निर्माण करवा दिया था। हिंदुओं के लम्बे संघर्ष के बाद आज पुनः रामजन्मभूमि पर श्री राम मंदिर का निर्माण हो रहा है।

विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इत्यादि हिन्दू संगठनों ने रामजन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने के लिए लगातार संघर्ष किया अनेकों लड़ाईयां लड़ी, जिसमें सैकड़ों हिन्दूओं ने बलिदान भी दिया। विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा यह घोषणा किया गया था कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा रोक लगाने के आदेश दिए जाने के पूर्व ही विवादित क्षेत्र पर राममन्दिर की आधारशिला रखेगी।

बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मंत्रालय ने वीएचपी को शिलान्यास की अनुमति दे दी। साथ ही साथ तत्कालीन गृह मन्त्री बूटा सिंह ने वीएचपी नेता अशोक सिंघल को अनुमति दे दी।

शुरुआत के दिनों में केन्द्र और राज्य सरकारें विवादित स्थल के बाहर शिलान्यास के आयोजन पर सहमत हुई थीं। बाद में 09 नवम्बर 1989 को विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं और साधुओं के एक समूह ने विवादित स्थल पर 7 घन फुट गड्ढा खोदकर आधारशिला रख दी। यहाँ सिंहद्वार स्थापित किया गया था। सबसे पहले पत्थर बिछाने वाले लोगों में बिहार के एक दलित नेता कामेश्वर चौपाल भी एक रहे।

राम मन्दिर निर्माण के लिए 1990 के दशक से ही विश्व हिन्दू परिषद् ने “श्री राम” लिखी ईंटें, पत्थर एकत्रित करनी शुरू कर दी थी। हिन्दुओं को पूरा भरोसा था कि एक न एक दिन हमारी जीत अवश्य होगी और रामजन्मभूमि पर राम मन्दिर जरूर बनेगा।

1850 के दशक से ही राममंदिर को लेकर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच विवाद बढ़ता गया। वर्ष 1992 में इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और हिन्दुओं के सब्र का बाँध टूट गया और 06 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया गया। तबसे हिन्दू संगठनों ने हर वर्ष 06 दिसम्बर को भगवा शौर्य दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

Shri Ram Mandir Ayodhya || श्री राम मन्दिर अयोध्या

राममन्दिर बनाने के लिए हिन्दुओं ने लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लम्बी लड़ाई लड़ी और आखिर में वर्ष 2019 में वह दिन आ ही गया जब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में हिन्दुओं की ऐतिहासिक जीत हुई और रामजन्मभूमि पर राममन्दिर बनने का रास्ता साफ हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि रामजन्मभूमि एक ट्रस्ट को सौंप दिया जाय।

फैसला आने के बाद भारत सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया और रामजन्मभूमि की जमीन ट्रस्ट को सौंप दी। संसद में 05 फरवरी 2020 को यह घोषणा की गई कि मोदी मंत्रालय ने मन्दिर निर्माण की इस योजना को स्वीकार कर लिया है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने मार्च 2020 से राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया। अब तक राममन्दिर निर्माण का 75 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बनकर तैयार हो चुका है और वर्ष 2024 में 22 जनवरी को उद्घाटन होना सुनिश्चित हुआ है।

राम मंदिर के वास्तुकार

श्रीराम मंदिर की डिजाइन सबसे पहले वर्ष 1988 में अहमदाबाद में सोमपुरा परिवार के द्वारा तैयार की गई थी। पिछले 15 पीढ़ियों से सोमपुरा परिवार के लोग मंदिरों की डिजाइन बनाते चले आ रहे हैं और अब तक ये लोग दुनिया भर में 100 से ज्यादा मंदिरों की डिजाइन बना चुके हैं। इस मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चन्द्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा हैं। चन्द्रकांत सोमपुरा के दोनों बेटे आर्किटेक्ट भी हैं।

वर्ष 2020 में जब श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मंदिर के पुराने डिजाइन में थोड़े बदलाव करके उसे स्वीकार कर लिया गया और उसी डिजाइन के अनुसार राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। राम मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। राम मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है। नागर शैली भारतीय मंदिरों के निर्माण की वास्तुकला के प्रकारों में से एक है।

मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर बनाया जा रहा है जो गोपुरम शैली में है। यह द्वार दक्षिण के मंदिरों का प्रतिनिधित्व करेगा। राम मंदिर के दीवारों पर भगवान राम के जीवनी को दर्शाने वाली कलाकृतियां भी बनाई जा रही हैं। राममंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय होगा।

वास्तुकारों द्वारा मंदिर परिसर में प्रार्थना कक्ष, श्रीराम कथा कुंज (व्याख्यान कक्ष), वैदिक पाठशाला (पढ़ाई की सुविधा), संत निवास, यति निवास और संग्रहालय इत्यादि को डिजाइन किया गया है। मंदिर के साथ-साथ इन सबका निर्माण भी किया जा रहा है। अयोध्या का श्रीराम मंदिर बहुत ही भव्य, दिव्य और विशाल होगा। यह मंदिर जब पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर होगा।

प्रस्तावित राम मंदिर का एक प्रतिरूप वर्ष 2019 में प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान प्रदर्शित किया गया था।

राम मंदिर शिलान्यास समारोह

श्रीराम जन्मभूमि पर राममंदिर का शिलान्यास भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने 05 अगस्त 2020 को दोपहर 12 बजे किया था। इस दौरान आधारशिला के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चांदी के ईंट की स्थापना की थी। शिलान्यास के पहले श्रीराम जन्मभूमि पर पंडितों ने तीन दिन तक चलने वाले वैदिक अनुष्ठान का आयोजन किया था। इस दौरान प्रभु श्रीराम की पूजा की गई और मंदिर के शिलान्यास में सभी प्रमुख देवी-देवताओं को आमंत्रित भी किया गया था।

पूरे भारत के विभिन्न हिंदू मंदिरों, गुरुद्वारों और जैन मंदिरों से मिट्टी भी भेजी गई। इस दौरान शारदा पीठ (पाकिस्तान) से भी मिट्टी लाई गई थी। साथ ही गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी और सिन्धु नदी का जल भी अर्पित किया गया था। शिलान्यास समारोह के दौरान हुए उत्सव में हनुमानगढ़ी के 7 किलोमीटर के दायरे के सभी मंदिरों में 7 हजार से ज्यादा दिए जलाए गए थे।

कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और कैरिबियन द्वीपों के विभिन्न मंदिरों ने इस अवसर को अद्भूत बनाने के लिए एक आभासी सेवा का आयोजन भी किया था। टाइम्स स्क्वायर पर भगवान श्रीराम की छवि दिखाने की योजना भी बनाई गई थी।

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 2.77 एकड़ (1.12 हेक्टेयर) भूमि पर बन रहा है। श्रीराम मंदिर का पूरा परिसर लगभग 70 एकड़ भूमि में बन (28.33 हेक्टेयर) रहा है। इस परिसर को इतना विशाल बनाया जा रहा है कि अगर लाखों भक्त एक साथ भी आयें तो भी उन्हें किसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

राम मंदिर का निर्माण कार्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के देखरेख में लार्सन एंड टूब्रो कंपनी कर रही है। लार्सन एंड टूब्रो कंपनी कंस्ट्रक्शन दुनिया के शीर्ष ठेकेदारों में से एक है। लार्सन एंड टूब्रो ने मंदिर के निर्माण और डिजाइन की निःशुल्क देखरेख करने की पेशकश की थी।

इस मंदिर में उपयोग होने वाले पत्थर राजस्थान के बंसी पर्वत से आ रहे हैं। बंसी पर्वत के बलुआ पत्थरों से राम मन्दिर का निर्माण हो रहा है। बंसी पर्वत से आए 600000 क्यूबिक फीट बलुआ पत्थरों से मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा।

राम मन्दिर में बनने वाले भगवान श्री राम की भव्य मूर्ति बनाने लिए नेपाल से 60 मिलियन वर्ष (60000000 वर्ष) पुराना शालीग्राम आया है। एक शालीग्राम का वजन लगभग 26 टन है और दूसरे का वजन लगभग 14 टन है। शालीग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है। शालीग्राम का प्रयोग परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में भगवान का पूजा एवं आह्वान करने के लिए किया जाता है।

Shri Ram Mandir Ayodhya || श्री राम मन्दिर अयोध्या

निर्माण

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने वर्ष 2020 (मार्च) में राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण शुरू किया था। निर्माण स्थल को समतल करने और खुदाई के दौरान एक बड़ा शिवलिंग, हिन्दू मन्दिरों को बनाने में लगने वाले खंभे और कुछ टूटी हुई मूर्तियाँ भी मिली थीं। भगवान श्रीराम की मूर्ति को 25 मार्च 2020 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में एक अस्थायी स्थान पर स्थापित किया गया था।

राम मन्दिर के निर्माण की तैयारी में विश्व हिंदू परिषद द्वारा विजय महामंत्र जाप अनुष्ठान का आयोजन किया था। अनुष्ठान में 06 अप्रैल 2020 को विजय महामंत्र, श्री राम जय राम जय जय राम का जाप करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर लोग एकत्रित हुए थे। यह अनुष्ठान मंदिर के निर्माण में आने वाले ‘बाधाओं पर विजय’ सुनिश्चित करने के लिए किया गया था।

राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (गुवाहाटी, मुम्बई और मद्रास) मिट्टी परीक्षण, कंक्रीट और डिजाइन जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान कर रहे हैं। इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने सरयू की एक ऐसी धारा की पहचान की थी जो राम मंदिर के नीचे से बहती थी।

मंदिर का आकार

राम मंदिर में बना गर्भगृह अष्टकोणीय आकार का है, जबकि संरचना की परिधि गोलाकार है। गर्भगृह का निर्माण मकराना मार्बल से किया गया है। मंदिर 161 फीट ऊंचा बन रहा है। मन्दिर में पांच गुंबद और एक विशाल टावर बनेगा। राम मंदिर को तीन मंजिल का बनाया जा रहा है।

कोणार्क के सूर्य मंदिर की तर्ज पर राम मंदिर को बनाया जा रहा है। गर्भगृह का डिजाइन ऐसे किया गया है कि चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी पर रामलला के मुख पर सीधे सूर्य की किरणें पड़े। भगवान श्रीराम के शिशु अवतार को ही रामलला कहा जाता है। राममंदिर में इसके अलावा भी अन्य कई खुबियां होंगी। मंदिर में गर्भगृह की तरह गृह मण्डप पूरी तरह से ढंका रहेगा, जबकि कीर्तन मंडप, रंग मंडप, नृत्य मंडप और दो प्रार्थना मंडप खुले रहेंगे।

राममंदिर में दरवाजे और खिड़कियां भी लगाए जा रहे हैं। प्रभु श्रीराम के इस मंदिर में लगने वाले सभी दरवाजे और खिड़कियां सागौन की लकड़ी के बनाए जाएंगे। सागौन की लकड़ी बेहद मजबूत होती है। इस लकड़ी की उम्र 100 साल या उससे भी ज्यादा होती है। इन सागौन की लकड़ियों को महाराष्ट्र के चन्द्रपुर से मंगवाया गया है। खिड़की और दरवाजे कुशल कारीगरों के द्वारा बनाए जा रहे हैं।

प्रभु श्रीराम की मूर्ति

मंदिर में प्रभु श्रीराम की दो मूर्तियां रखी जाएंगी। एक पुरानी मूर्ति रखी जायेगी जो 1949 में मिली थी और दशकों तक तम्बू में रही है। दूसरी मूर्ति बड़ी होगी जिसका निर्माण कार्य अब लगभग पूरा होने वाला है।

नेपाल से शालिग्राम की दो शिलाएं इस मूर्ति के निर्माण के लिए श्री अयोध्या धाम लाई गई थीं। ये शिलाएं मुस्तांग जिले (नेपाल) के काली गण्डकी नदी के तट से लाई गई थीं। बताया जाता है कि शालिग्राम की यह शिलाएं 6 करोड़ (60 मिलियन वर्ष) साल पुरानी हैं। इसमें बड़े शिला का वजन लगभग 26 टन और छोटे शिला का वजन 14 टन है।

नेपाल के काली गण्डकी नदी के तट पर पाई जाने वाले शिलाएं प्रसिद्ध हैं। यहां पाये जाने वाल शिलाओं को शालिग्राम कहा जाता है। सनातन धर्म में इन शिलाओं को पूजा जाता है। शालिग्राम को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय ने इन शिलाओं से भगवान श्रीराम की मूर्ति बनाने का आग्रह किया था जिसे ट्रस्ट और हिन्दू संगठन के लोगों द्वारा स्वीकार किया गया है।

श्री चंपत राय ने मीडिया में बताया था कि मंदिर में भगवान श्री राम की 5 वर्ष की उम्र के स्वरूप वाली मूर्ति की स्थापना की जाएगी। स्थापित होने वाली मूर्ति का स्वरूप बाल्मीकि रामायण से लिया गया है। मंदिर के गर्भगृह का निर्माण कार्य अब लगभग पूरा कर लिया गया है।

मंदिर का घंटा

राम जन्मभूमि पर बनने वाले इस मंदिर में 2100 किलो का एक विशाल घंटा लगाया जाएगा। घंटा 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा होगा। बड़े घंटे के अलावा मंदिर में विभिन्न आकार के दस छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे। छोटे घंटों का वजन 500, 250, 100 किलो होगा। घंटों के निर्माण में पीतल के साथ-साथ अन्य धातुओं को मिलाकर बनाया गया है। इन घंटों को जलेसर, एटा की फर्म सावित्री ट्रेडर्स में बनाया गया है।

जलेसर (एटा) घंटी और घुंघरू उद्योग के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां के लोग पीढ़ीयों से घंटी और घुंघरू का निर्माण करते आ रहे हैं। देश के अधिकांश बड़े मंदिरों में जलेसर के बने हुए घंटे आपको मिल जायेंगे।

मंदिर को मिल रहा है दान

रामजन्मभूमि पर बन रहे भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने के लिए श्रद्धालु लगातार दान कर रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के पहले चरण का कार्य अब लगभग पूरा होने को है, लेकिन अब भी श्रद्धालु जमकर दान कर रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक राम मंदिर का खजाने में हर दिन बढ़ोत्तरी हो रही है।

ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष ने बताया कि हमें FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) से भी अब प्रमाण पत्र मिल गया है और अब दूसरे देशों से भी धन आना शुरू हो चुका है। जैसे-जैसे मंदिर निर्माण का कार्य पूरा होता जा रहा है, दान में भी बढ़ोत्तरी होती जा रही है।

अब तक श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 5000 करोड़ से ज्यादा धन दान में मिल चुका है। श्रीराम मंदिर निर्माण पर हो रहे खर्च के बाद भी 3500 करोड़ से अधिक धनराशि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बैंक खातों में शेष है।

 

 

Shri Ram Mandir Ayodhya || श्री राम मन्दिर अयोध्या

श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए 15 जनवरी से 27 फरवरी 2021 तक समर्पण निधि अभियान चलाया गया था। इस समर्पण निधि अभियान में 9,00,000 कार्यकर्ताओं ने हजारों टोलियां बनाकर 10 करोड़ परिवारों से सम्पर्क किया था। दान में रूपया, सोना, चाँदी, पत्थर, ईंट इत्यादि तरह-तरह के सहयोग मिले थे।

वर्तमान में रामलला के दर्शन करने के लिए लगभग 50 हजार श्रद्धालु हर दिन आते हैं। मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद यहां हर दिन एक लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।

अयोध्या राम मंदिरः टाइमलाइन

1528 में मुगल अक्रांता बाबर ने राम मन्दिर को ध्वस्त कर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।
1849 में पहली बार जमीन को लेकर सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई।
1949 में मस्जिद के अंदर प्रभु श्री राम की मूर्ति मिली, सांप्रदायिक तनाव और तेज हुआ।
1950 में मूर्ति पूजा की अनुमति के लिए फैजाबाद सिविल कोर्ट में 2 मुकदमे दायर किए गये।
1961 में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मूर्ति को हटाने की मांग की।
1986 में जिला अदालत ने हिन्दू श्रद्धालुओं को पूजा के लिए अनुमति दी।
1992 में 06 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया।
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित क्षेत्र को रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच 3 हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
2016 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और राम मंदिर निर्माण की मांग की।
2019 में उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया कि विवादित स्थल ही भगवान राम की जन्मभूमि है। न्यायालय ने पूरी विवादित भूमि (2.77 एकड़) ट्रस्ट को सौंप दी और सरकार को आदेश दिया की सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक स्थल के रूप में 5 एकड़ जमीन दे।
2020 में पीएम मोदी ने जन्मभूमि पर भूमि पूजन और शिलान्यास किया।
2023 में 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम मन्दिर के उद्घाटन की तिथि निश्चित की गयी है।

परिवर्तनात्मक समारोह

आधिकारिक तौर पर मंदिर निर्माण 05 अगस्त 2020 को भूमि पूजन और शिलान्यास के बाद फिर से प्रारम्भ किया गया। निर्माण के पहले तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया था। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आधारशिला के रूप में 40 किलो चांदी की ईंट की स्थापना की गयी। भूमि पूजन और शिलान्यास के दौरान मोदी ने पारिजात का एक पौधा भी लगाया था।

अयोध्या का हो रहा है चहुमुखी विकास

प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में 32 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया है। पूरी अयोध्या को भव्य, दिव्य और सुंदर नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है।

अयोध्या में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी बनाया जा रहा है ताकि देश-विदेश से आने वाले यात्रियों के आवागमन को सुगम बनाया जा सके। हवाई अड्डे का नाम प्रभु श्री राम के नाम पर मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया है। साथ ही अयोध्या के रेलवे स्टेशन को भी अत्याधुनिक स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है।

अयोध्या के मठ-मदिरों का भी सुंदरीकरण किया जा रहा है। शहर में फोर लेन और सिक्स लेन सड़कों का निर्माण भी किया जा रहा है।

ऐसे करें दर्शन हेतु बुकिंग

सनातन हिन्दू धर्म का बहुप्रतीक्षित मंदिर अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बनने वाला प्रभु श्रीराम का मन्दिर है। पूरी दुनिया के सभी हिन्दू इस मन्दिर के उद्घाटन को लेकर काफी उत्साहित हैं। आप सभी हिन्दू भाइयों के उत्साह को देखते हुए हमने प्रभु श्रीराम मंदिर के उद्घाटन की तिथि और इससे संबंधित अन्य जानकारी देने को सोचा है।

अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होगा। उद्घाटन समारोह के समापन की तिथि 24 फरवरी 2024 को होने की उम्मीद है। उद्घाटन के समापन के बाद अयोध्या राम मंदिर दर्शन की बुकिंग शुरू कर दी जाएगी। बुकिंग शुरू होने के बाद आप अपने टिकट बुक कर सकते हैं। टिकट बुक करने के लिए निम्न निर्देशों का पालन करें-

राम मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट https://srjbtkshetra.org पर जायें।

दर्शन बुकिंग पर क्लिक करें और आगे बढ़ें।

दर्शन करने का दिनांक, लोगों की संख्या चुनें और टोकन जेनरेट पास करें।

श्री राम मंदिर के दर्शन करने के लिए टोकन अपने पास रखें।

इसी तरह आप इस वेबसाइट पर जाकर जागरण, आरती और अन्य सेवाएं भी बुक कर सकते हैं।

Ques. अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन कब है?

Ans. 22 जनवरी 2024, दोपहर 12 बजे

Ques. राम मंदिर का उद्घाटन कौन करेगा?

Ans. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Ques. राम मंदिर कौन सी कंपनी बना रही है?

Ans. लार्सन एंड टुब्रो

Ques. दुनिया का सबसे बड़ा राम मंदिर कौन सा है?

Ans. विराट् रामायण मंदिर, पूर्वी चम्पारण

Ques. अयोध्या क्यों प्रसिद्ध है?

Ans. अयोध्या भगवान राम की नगरी है।

Ques. अयोध्या का अंतिम राजा कौन है?

Ans. अग्निवर्ण

Ques. विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कौन सा है?

Ans. श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर

Ques. अयोध्या के करीब कौन सा हवाई अड्डा है?

Ans. मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा

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